मेरठ। आधुनिकता की तेज़ रफ़्तार में जहाँ नई पीढ़ी पर पाश्चात्य प्रभाव बढ़ रहा है, वहीं समाज की महिलाओं ने यह ठान लिया है कि वे बच्चों के जीवन में भारतीय संस्कृति और संस्कारों का बीजारोपण करेंगी। इसी उद्देश्य से संस्था कार्यालय, निकट पीवीएस मॉल शास्त्री नगर, मेरठ में एक विशेष संस्कार और संस्कृति कार्यक्रम गोष्ठी का आयोजन किया गया।
बैठक का उद्देश्य
इस बैठक का मुख्य ध्येय था— आने वाली पीढ़ी को न केवल आधुनिक शिक्षा देना बल्कि उन्हें भारतीय संस्कृति, पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं से भी जोड़ना।कार्यक्रम का संचालन सुधा अरोड़ा ने किया।
महिलाओं ने साझा किए विचार
बैठक में उपस्थित विभिन्न परिवारों की महिलाओं ने कहा कि बच्चों को केवल किताबों तक सीमित न रखकर कहानियों, धार्मिक गीतों, लोक रीति-रिवाज़ और सामूहिक गतिविधियों के माध्यम से भी शिक्षा दी जानी चाहिए। यही प्रयास उनके व्यक्तित्व निर्माण और समाज के सशक्तिकरण में सहायक होगा।- उपाध्यक्ष क्षमा चौहान ने कहा — “बच्चों की पहली पाठशाला परिवार होता है और माँ ही उनकी पहली शिक्षक।”
- कुसुम शर्मा का कहना था — “अगर हम आज से ही बच्चों को संस्कार देंगे, तो कल समाज संस्कारित और सशक्त बनेगा।”
- अध्यक्ष अंजू पाण्डेय ने ज़ोर देकर कहा — “आज की पीढ़ी को केवल आधुनिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ी शिक्षा भी देना जरूरी है।”
सामूहिक संकल्प
अंत में सभी महिलाओं ने यह सामूहिक संकल्प लिया कि बच्चों में संस्कार और संस्कृति रोपित करने का यह अभियान लगातार जारी रहेगा।सहयोगी सदस्य
इस आयोजन में मीनू बाना, नीरा गुप्ता, कुसुम शर्मा, लक्ष्मी बिंदल, कुसुम मित्तल, सचिव शिवकुमारी गुप्ता, शशि वाला, मंजुला शर्मा सहित अनेक महिलाओं का सक्रिय सहयोग रहा।✍️ विशेष रिपोर्ट : ज़मीर आलम
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