आज के दौर में हमारे देश का सबसे बड़ा खजाना है – युवा पीढ़ी। लेकिन पिछले कुछ समय से देशभर से जो खबरें सामने आ रही हैं, वे मन को गहराई तक झकझोर देती हैं। असमय मौतें, अचानक हृदयाघात और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ... यह सब केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी हैं।
बदलती जीवनशैली और बढ़ते खतरे
तेज़ रफ़्तार ज़िंदगी, देर रात तक मोबाइल और गैजेट्स पर बिताए घंटे, अधूरी नींद, जंक फूड की बढ़ती आदतें, प्रदूषण और तनाव—यह सब मिलकर युवाओं की सेहत पर भारी पड़ रहे हैं। कुछ युवा बिना उचित मार्गदर्शन के फिटनेस की दौड़ में सप्लीमेंट्स और स्टेरॉयड का सहारा ले रहे हैं, जो धीरे-धीरे शरीर को अंदर से खोखला बना रहे हैं।
धार्मिक आयोजनों और प्रसाद पर भी सोचने की ज़रूरत
हमारे समाज में भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजनों की परंपरा पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। यह देखकर आत्मा प्रसन्न होती है कि आस्था और भक्ति में इज़ाफ़ा हो रहा है। लेकिन, एक सवाल मन में उठता है – क्या भक्ति केवल गरिष्ठ प्रसाद के बिना पूरी नहीं हो सकती?
अधिकतर जगहों पर देर रात 10-11 बजे के बाद प्रसाद वितरण शुरू होता है। मिठाइयाँ, तली-भुनी चीजें और घी-तेल से बने पकवान सीधे सोने से पहले शरीर में चले जाते हैं। महीने में एक-दो बार तो शरीर इसे सहन कर लेता है, लेकिन जब यह आदत हर हफ्ते दोहराई जाती है, तो यह हृदय, यकृत और पाचन तंत्र पर बोझ डालने लगती है।
क्यों न सात्विक प्रसाद की शुरुआत हो?
गरुड़ पुराण और अन्य शास्त्रों में भी शरीर को स्वर्ग और नरक का मूल माना गया है। यदि शरीर स्वस्थ है, तो भक्ति का आनंद भी दुगना है। सवाल यह है कि प्रसाद केवल मिठाई या भारी भोजन ही क्यों?
- क्या हम खिचड़ी, फल या अन्य सुपाच्य और सात्विक आहार को प्रसाद का रूप नहीं दे सकते?
- क्या ऐसा प्रसाद हमारी आत्मा के साथ-साथ शरीर को भी पोषण नहीं देगा?
सामूहिक बदलाव की आवश्यकता
लेख का उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। बल्कि यह आग्रह है कि भक्ति और स्वास्थ्य को साथ लेकर चलें। यदि हम अपने धार्मिक आयोजनों में सात्विक और पौष्टिक प्रसाद को शामिल करें, तो यह न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होगा बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी स्वस्थ जीवन का वरदान देगा।
अब समय आ गया है कि हम केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि सामूहिक स्तर पर अपनी आदतों और परंपराओं की समीक्षा करें। तभी हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर पाएँगे, जहाँ भक्ति और स्वास्थ्य दोनों का सुंदर संगम हो।
✍️ डॉ. प्रियंका जोशी
सामाजिक कार्यकर्ता, लक्ष्मणगढ़ (सीकर)
📰 प्रस्तुतकर्ता: सैय्यद मुजम्मिल हुसैन
संपूर्ण सामाजिक संस्थाओं को समर्पित राष्ट्रीय समाचार पत्रिका “एनजीओ दर्पण” के लिए विशेष रिपोर्ट
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