Thursday, September 18, 2025

क्रांतिकारी शालू सैनी: मासूम के अंतिम संस्कार ने झकझोर दी रूह, कांप उठे हाथ और भर आईं आंखें

रुड़की।

मानवता की सेवा और मृत आत्माओं को सम्मानजनक विदाई देने के संकल्प से कार्यरत साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट, मुजफ्फरनगर की राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी ने एक बार फिर करुणा और साहस की मिसाल पेश की है। इस बार उन्होंने मात्र एक वर्ष के मासूम अभिषेक का अंतिम संस्कार किया, जिसे उसके ही मामा ने निर्दयता से मौत के घाट उतार दिया।

थाना कोतवाली क्षेत्र से जानकारी मिलने पर शालू सैनी स्वयं पहुंचीं और मासूम का शव अपनी गोद में उठाकर मोर्चरी से बाहर लाई। उस क्षण का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा—
“एक मृत बच्चे को गोद में उठाना आम बात नहीं है, जरूर उसका कोई पुनर्जन्म का रिश्ता रहा होगा। महाकाल ही यह शक्ति और साहस देते हैं, मैं तो सिर्फ निमित्त मात्र हूं।”

संस्कार के समय शालू सैनी के हाथ कांप उठे, दिल तड़प उठा और उनकी आंखें भर आईं। नम आंखों से उन्होंने मासूम को अंतिम विदाई दी।

शालू सैनी का कहना है कि उनका जीवन का एक ही उद्देश्य है


हर मृतक को कफ़न नसीब हो और हर आत्मा को धर्मानुसार विधि-विधान से अंतिम बिदाई मिल सके।

वह पिछले कई वर्षों से इस सेवा कार्य में निरंतर लगी हुई हैं और अब तक लगभग साढ़े पांच हजार अंतिम संस्कार कर चुकी हैं। चाहे किसी भी धर्म का व्यक्ति हो, शालू सैनी सुनिश्चित करती हैं कि हर आत्मा को उसके धर्म के अनुसार सम्मानजनक अंतिम संस्कार मिले।

यह सेवा कार्य केवल मानवता का नहीं, बल्कि समाज के लिए प्रेरणादायी आदर्श है।


📌 एनजीओ दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए
पत्रकार: ज़मीर आलम

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प्रेरणादायी पंक्तियाँ

  • “जो जीते हैं, वे तो एक दिन मरेंगे ही, लेकिन जो मरने वालों को सम्मान देते हैं, वे हमेशा अमर रहते हैं।”
  • “अंतिम संस्कार सेवा केवल कर्म नहीं, बल्कि मानवता का सबसे बड़ा धर्म है।”


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