बटेश्वर का प्रसिद्ध मेला न केवल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्रीय विकास और पर्यावरण संरक्षण को भी नई दिशा देने का अवसर प्रदान कर सकता है। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने जिला पंचायत अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि बटेश्वर मेले के अवसर पर उटंगन नदी पर केंद्रित "नदी सम्मेलन" आयोजित किया जाए।
सोसायटी के सचिव अनिल शर्मा का कहना है कि उटंगन नदी इस क्षेत्र के भूजल स्तर को स्थिर करने में बेहद अहम भूमिका निभा सकती है। नदी में बरसात के पानी को रोककर न केवल करोड़ों घन मीटर जल को संरक्षित किया जा सकता है, बल्कि इसका उपयोग बटेश्वर मंदिर के घाटों पर शुद्ध और ताजे जल की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी किया जा सकेगा। यह पहल विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा, सोमवार के पर्वों और शिवरात्रि जैसे अवसरों पर महत्वपूर्ण होगी, जब श्रद्धालुओं को पवित्र जल की सबसे अधिक आवश्यकता रहती है।
जल संकट से जूझते क्षेत्र के लिए उम्मीद की किरण
वर्तमान समय में शमसाबाद, फतेहाबाद, पिनाहट और बाह ब्लॉक के क्षेत्र भूजल संकट की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं। भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है और कई गांवों में हैंडपंप सूख चुके हैं। ऐसे में उटंगन नदी पर प्रस्तावित बांध इन क्षेत्रों में न केवल जल स्तर को सुधारने का कार्य करेगा, बल्कि पानी की गुणवत्ता में भी सकारात्मक बदलाव ला सकेगा।
सामाजिक सरोकार और सामूहिक जिम्मेदारी
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की पहल से यह साफ है कि जल संरक्षण केवल सरकारी योजनाओं पर नहीं छोड़ा जा सकता। इसके लिए समाज, संस्थाओं और नागरिकों को भी आगे आना होगा। बटेश्वर मेले जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से जुड़कर यह संदेश और भी व्यापक स्तर पर फैल सकता है।
निष्कर्ष
उटंगन नदी पर केंद्रित यह प्रस्तावित "नदी सम्मेलन" न सिर्फ एक पर्यावरणीय पहल है, बल्कि यह परंपरा, संस्कृति और विकास के संगम का प्रतीक भी बनेगा। बटेश्वर का मेला इस प्रयास से केवल आस्था का केंद्र ही नहीं रहेगा, बल्कि जल संरक्षण और स्थायी विकास की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित होगा।
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पत्रकार : साजिद अली
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