भारतीय परंपरा की गहराई और आधुनिक संदर्भों की प्रासंगिकता—इन्हीं विषयों पर आधारित रहा मेरठ स्थित शहीद मंगल पांडे राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय, माधवपुरम द्वारा आयोजित 10 दिवसीय ऑनलाइन सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम का दूसरा दिन।
यह कार्यक्रम न्यूक्लियस ऑफ़ लर्निंग एंड डेवलपमेंट संस्थान के सहयोग से, महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. (डॉ.) अंजू सिंह के कुशल निर्देशन एवं IQAC समन्वयक प्रो. लता कुमार के संयोजन में 23 जून से 4 जुलाई 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
🪔 द्वितीय दिवस की झलकियाँ
इस दिन का आकर्षण रहीं मुख्य अतिथि वक्ता डॉ. दीप्ति आचार्य, जो महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी, बड़ौदा (गुजरात) से जुड़ी हुई हैं। अपने गूढ़ व्याख्यान में उन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता को रामायण और महाभारत के गहन उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया।
उनका मानना था कि—
“भारतीय दर्शन में समाहित शांति, सत्य, सजगता और नैतिकता आज के वैश्विक संदर्भ में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। यदि हम इन मूल्यों को आत्मसात करें, तो न केवल व्यक्तिगत जीवन सार्थक हो सकता है, बल्कि संपूर्ण विश्व में भी शांति स्थापित की जा सकती है।”
डॉ. आचार्य ने नीति शास्त्र के राजनीति, अर्थनीति, धर्मनीति और दंडनीति जैसे विविध पक्षों पर भी विस्तृत चर्चा की, जो श्रोताओं के लिए अत्यंत ज्ञानवर्धक सिद्ध हुई।
📚 भाषाई अस्मिता पर विशेष टिप्पणी
डॉ. आचार्य ने इस बात पर विशेष बल दिया कि राम और कृष्ण जैसे भारतीय महापुरुषों के नामों को रामा और कृष्णा के रूप में उच्चारित करना भारतीय भाषाई चेतना के विरुद्ध है। उन्होंने आग्रह किया कि हमें अपनी मूल भाषिक परंपरा का सम्मान करते हुए सही उच्चारण का अनुसरण करना चाहिए।
👩🏫 शिक्षकों की भूमिका पर विचार
सत्र के अंत में उन्होंने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा—
“हमें अपने शिक्षण कार्य में अत्यंत सतर्क और सजग रहना चाहिए। छात्र जिस विश्वास से हमसे प्रश्न करते हैं, उनके उत्तर सही दृष्टिकोण और संपूर्ण समझ के साथ देना हमारी ज़िम्मेदारी है।”
🎤 आभार एवं समापन
कार्यक्रम का संचालन डॉ. निधि सेनदुर्निकर ने करते हुए पाठ्यक्रम की रूपरेखा, उद्देश्य और अपेक्षित परिणामों को साझा किया। आयोजन समिति की सचिव प्रो. लता कुमार ने सभी वक्ताओं व प्रतिभागियों की सराहना की, जबकि डॉ. आर. सी. सिंह ने सभी अतिथियों, अधिकारियों और सहभागियों का धन्यवाद ज्ञापित कर सत्र का समापन किया।
🌟 इस कार्यक्रम में शिक्षाविदों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को न केवल भारतीय ज्ञान परंपरा से जुड़ने का अवसर मिला, बल्कि उन्हें इसे आधुनिक संदर्भों में समझने का नया दृष्टिकोण भी प्राप्त हुआ।
📌 रिपोर्टर: ज़मीर आलम
📞 मोबाइल: 8010884848
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