Wednesday, December 24, 2025

फिर एक बार मानवता हुई शर्मसारकूड़े के ढेर में फेंकी गई नवजात बच्ची, क्रांतिकारी शालू सैनी ने दिया ससम्मान अंतिम विदाई

तितावी, जिला मुजफ्फरनगर। मानवता को झकझोर देने वाली एक हृदयविदारक घटना में फिर समाज की संवेदनाएं शर्मसार हो गईं। तितावी थाना क्षेत्र, जिला मुजफ्फरनगर से मिली सूचना ने हर संवेदनशील मन को भीतर तक तोड़ दिया—कूड़े के ढेर में एक दिन की दुधमुंही नवजात बच्ची का शव मिला, जिसे आवारा कुत्ते नोच रहे थे। वह नन्ही परी, जिसने दुनिया की हवा भी ठीक से महसूस नहीं की थी, अपनों की बेरुखी और क्रूरता की भेंट चढ़ गई।

सूचना मिलते ही तुरंत मौके पर पहुंचीं। जब उस मासूम का कोई अपना उसे मां की गोद में सुलाने वाला नहीं था, तब शालू सैनी ने आगे बढ़कर एक अभिभावक का फर्ज निभाया। नम आंखों से उन्होंने क्षत-विक्षत शव को संभाला और पूरे विधि-विधान के साथ ससम्मान अंतिम संस्कार कराया, ताकि आख़िरी सफ़र में भी उस मासूम का सम्मान बना रहे।

की राष्ट्रीय अध्यक्ष शालू सैनी ने भावुक होते हुए कहा,
“आज शब्द कम पड़ रहे हैं और आंखें नम हैं। उस मासूम का कसूर क्या था? अगर वह इस दुनिया में नहीं चाहिए थी, तो उसे किसी अस्पताल या अनाथालय के पालने में छोड़ देते। कुत्तों के आगे नोचने के लिए फेंक देना इंसानियत की हार है। आज हमने केवल एक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया, बल्कि समाज की मर चुकी संवेदनाओं को अग्नि दी है।”

उन्होंने समाज के हर नागरिक से अपील की कि बेटियों को बोझ न समझें। ऐसी क्रूरता करने के बजाय सामाजिक संस्थाओं से संपर्क करें, ताकि किसी मासूम की जान और उसका सम्मान—दोनों बचाए जा सकें।
शालू सैनी बीते कई वर्षों से लावारिस और बेसहारा मृतकों के अंतिम संस्कार की सेवा में समर्पित हैं और अब तक लगभग छह हजार अंतिम संस्कार हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्मों की परंपराओं के अनुसार अपने हाथों से कर चुकी हैं।

उन्होंने जनता से यह भी अपील की कि जो भी अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहयोग कर सकता है—लकड़ी, घी, कफन, आवश्यक सामग्री या एंबुलेंस—वह अवश्य करे, ताकि हर मृतक को सम्मानजनक अंतिम विदाई मिल सके। यह घटना केवल एक अपराध नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए आत्ममंथन का क्षण है।


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मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश से
पत्रकार: गुलवेज आलम

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