शामली | 1 जुलाई 2025
राष्ट्रीय वाल्मीकि समाज प्रतिनिधि मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद झंझोट ने एक बार फिर दलित समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी और संवैधानिक अधिकारों की आवाज बुलंद करते हुए शामली जनपद में अनुसूचित जाति के लिए एक विधानसभा सीट आरक्षित करने की मांग की है।
इस संबंध में श्री झंझोट ने तीन अलग-अलग महत्वपूर्ण स्थानों पर पत्र भेजे हैं:
🔹 केंद्रीय चुनाव आयुक्त, भारत सरकार, नई दिल्ली
🔹 प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार, नई दिल्ली
🔹 उत्तर प्रदेश निर्वाचन कार्यालय आयुक्त, लखनऊ
क्या है मामला?
अरविंद झंझोट ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि—
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पूर्व में मुजफ्फरनगर जनपद में 9 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें से दो सीटें —
🔹 चरथावल
🔹 पुरकाजी — अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित थीं। -
वर्ष 2011 में जनपद शामली को अलग कर दिया गया, जिसके अंतर्गत वर्तमान में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं:
🔹 शामली
🔹 कैराना
🔹 थानाभवनये तीनों सीटें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हैं।
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यानी शामली जनपद बनने के बाद अनुसूचित जाति समाज को एक आरक्षित सीट की हानि हुई है। जबकि जनसंख्या और सामाजिक समीकरणों के हिसाब से यहां एक आरक्षित सीट की आवश्यकता स्पष्ट है।
जनहित की मांग
श्री झंझोट ने अपने पत्र में कहा है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक मांग नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रश्न है।
उन्होंने लिखा:
“दलित समाज की भागीदारी सुनिश्चित करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। शामली जैसे संवेदनशील जिले में, जहां अनुसूचित जाति की संख्या पर्याप्त है, वहां विधानसभा में प्रतिनिधित्व का न होना लोकतांत्रिक असंतुलन है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में यह बेहद जरूरी है कि सभी जिलों में सामाजिक वर्गों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।
राष्ट्रीय स्तर पर उठी आवाज
यह मांग सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समस्त दलित समाज और सामाजिक संस्थाओं की सामूहिक आवाज बन चुकी है। अरविंद झंझोट की ओर से यह पहल एक मिसाल है कि संवैधानिक अधिकारों के लिए संस्थागत और लोकतांत्रिक तरीके से कैसे संघर्ष किया जाए।📌 नोट:
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