Tuesday, July 8, 2025

🌟 "सेवा का संकल्प – महात्मा हजारीलाल मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा नि:शुल्क स्वास्थ्य एवं रक्तदान शिविर का भव्य आयोजन" 🌟

समाजसेवा का सबसे उत्कृष्ट रूप वह होता है, जो निस्वार्थ हो और जन-जन तक पहुँचे। महात्मा हजारीलाल मेमोरियल ट्रस्ट ने इस सिद्धांत को आत्मसात करते हुए एक बार फिर साबित कर दिया कि सेवा के लिए केवल भावना चाहिए, संसाधन तो जुट ही जाते हैं।

हाल ही में ट्रस्ट द्वारा दिल्ली के शाहदरा जिले स्थित महाराजा अग्रसेन भवन, वेस्ट ज्योति नगर, बाबरपुर में एक भव्य नि:शुल्क स्वास्थ्य जाँच एवं रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने भाग लिया और इसका लाभ उठाया।

🔬 स्वास्थ्य सेवाओं की विस्तृत श्रृंखला:

स्वास्थ्य जाँच शिविर में प्रमुख संस्थाओं की भागीदारी रही, जिनमें शामिल थे –

  • नेत्र जाँचशार्पसाइट आई हॉस्पिटल
  • दंत परीक्षणक्लोव डेंटल
  • अन्य स्वास्थ्य परीक्षण – बी.पी., आर.बी.एस., बी.एम.डी., पी.एफ.टी., कोलेस्ट्रॉल, खून की जाँच, यूरिक एसिड और कैल्शियम
    इन सभी जांचों का संचालन मैक्स हॉस्पिटल के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया गया, जो शिविर की गुणवत्ता और पेशेवरता को दर्शाता है।

🩸 उत्साह से भरपूर रक्तदान शिविर:

इस अवसर पर रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसमें युवाओं और बुजुर्गों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। यह पहल समाज में मानवता और एकता की मिसाल पेश करती है।

🏛️ गरिमामयी उपस्थिति:

इस सफल आयोजन की शोभा बढ़ाई उत्तर-पूर्वी दिल्ली के सांसद श्री मनोज तिवारी और पद्मश्री श्री जितेंद्र सिंह शंटी ने। उनके साथ रेल भवन नई दिल्ली के पूर्व प्रिंसिपल प्राइवेट सचिव श्री आर.एस. शर्मा तथा भाजपा के कई वरिष्ठ पदाधिकारीगण भी मौजूद रहे।

🗣️ सराहनाएं और प्रेरणाएं:

  • सांसद मनोज तिवारी ने ट्रस्ट की प्रशंसा करते हुए कहा –
    "अनुज शर्मा और उनकी टीम द्वारा समाज के लिए किया गया यह कार्य सराहनीय है। ऐसे शिविर समाज में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मील का पत्थर हैं।"

  • पद्मश्री जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा –
    "यह आयोजन ट्रस्ट की समाज के प्रति गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मैं ट्रस्ट और श्री अनुज शर्मा को बधाई देता हूँ। इनका सेवा भाव समाज के लिए प्रेरणा है।"

🌱 सतत सेवा का संकल्प:

ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अनुज शर्मा ने जानकारी दी कि महात्मा हजारीलाल मेमोरियल ट्रस्ट पिछले आठ वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण, महिला सुरक्षा, दिव्यांग सहायता, और भ्रष्टाचार मुक्त भारत के अभियान जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।

✨ निष्कर्ष:

यह आयोजन केवल एक स्वास्थ्य शिविर नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था – "सेवा ही धर्म है।"
समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने की यह भावना अगर हर नागरिक में आ जाए, तो भारत सचमुच एक आदर्श समाज बन सकता है।


✍️ रिपोर्ट: ज़मीर आलम
प्रधान संपादक – एनजीओ दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्रिका
📞 #ngodarpan | 8010884848


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Tuesday, July 1, 2025

शामली जनपद में अनुसूचित जाति के लिए विधानसभा सीट आरक्षित करने की उठी मांग

✍️ ज़मीर आलम, संवाददाता — एनजीओ दर्पण (राष्ट्रीय समाचार पत्रिका)


शामली | 1 जुलाई 2025

राष्ट्रीय वाल्मीकि समाज प्रतिनिधि मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अरविंद झंझोट ने एक बार फिर दलित समाज की राजनीतिक हिस्सेदारी और संवैधानिक अधिकारों की आवाज बुलंद करते हुए शामली जनपद में अनुसूचित जाति के लिए एक विधानसभा सीट आरक्षित करने की मांग की है।

इस संबंध में श्री झंझोट ने तीन अलग-अलग महत्वपूर्ण स्थानों पर पत्र भेजे हैं:

🔹 केंद्रीय चुनाव आयुक्त, भारत सरकार, नई दिल्ली
🔹 प्रधानमंत्री कार्यालय, भारत सरकार, नई दिल्ली
🔹 उत्तर प्रदेश निर्वाचन कार्यालय आयुक्त, लखनऊ

क्या है मामला?

अरविंद झंझोट ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि—

  • पूर्व में मुजफ्फरनगर जनपद में 9 विधानसभा सीटें थीं, जिनमें से दो सीटें —
    🔹 चरथावल
    🔹 पुरकाजी — अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित थीं।

  • वर्ष 2011 में जनपद शामली को अलग कर दिया गया, जिसके अंतर्गत वर्तमान में तीन विधानसभा क्षेत्र हैं:
    🔹 शामली
    🔹 कैराना
    🔹 थानाभवन

    ये तीनों सीटें सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हैं।

  • यानी शामली जनपद बनने के बाद अनुसूचित जाति समाज को एक आरक्षित सीट की हानि हुई है। जबकि जनसंख्या और सामाजिक समीकरणों के हिसाब से यहां एक आरक्षित सीट की आवश्यकता स्पष्ट है।

जनहित की मांग

श्री झंझोट ने अपने पत्र में कहा है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक मांग नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय का प्रश्न है।
उन्होंने लिखा:

“दलित समाज की भागीदारी सुनिश्चित करना लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। शामली जैसे संवेदनशील जिले में, जहां अनुसूचित जाति की संख्या पर्याप्त है, वहां विधानसभा में प्रतिनिधित्व का न होना लोकतांत्रिक असंतुलन है।”

उन्होंने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में यह बेहद जरूरी है कि सभी जिलों में सामाजिक वर्गों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाए।

राष्ट्रीय स्तर पर उठी आवाज

यह मांग सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि समस्त दलित समाज और सामाजिक संस्थाओं की सामूहिक आवाज बन चुकी है। अरविंद झंझोट की ओर से यह पहल एक मिसाल है कि संवैधानिक अधिकारों के लिए संस्थागत और लोकतांत्रिक तरीके से कैसे संघर्ष किया जाए।


📌 नोट:
यह रिपोर्ट एनजीओ दर्पण — देश की एकमात्र पत्रिका जो समस्त सामाजिक संगठनों की गतिविधियों को बिल्कुल निशुल्क प्रकाशित करती है, की विशेष प्रस्तुति है। यदि आप भी अपनी संस्था की कोई सामाजिक, जनसेवी, शिक्षा या स्वास्थ्य संबंधित गतिविधि इस राष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित कराना चाहते हैं, तो आज ही संपर्क करें:

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