Saturday, February 13, 2021

तारे तभी तक टिमटिमाते है जब तक कि सूर्य का उदय नहीं होता, ठीक इसी प्रकार विज्ञान अनुसंधानों में तभी तक भटकता है जब तक कि उसे पूर्ण आत्मज्ञान नहीं हो जाता है।

 


विज्ञान का अर्थ है वस्तुओं की तमाम जानकारी हासिल करना। लेकिन अवगुणों का नाश करके संस्कारी व आर्दशवादी बनने की चिंतन प्रक्रिया को ज्ञान कहा गया है। अगर ज्ञान और विज्ञान की आपस में तुलना करे

तो वह इस प्रकार से होगी जैसे- हाइड्रोजन के दो कण जब ऑक्सीजन के सम्पर्क में आते है तो पानी बनता है यह विज्ञान है, लेकिन जब इस पानी से जीव जन्तुओं की प्यास बुझती है तो यह ज्ञान है। आकाश में तारे तभी

तक टिमटिमाते है जब तक कि सूर्य का उदय नहीं होता, ठीक इसी प्रकार विज्ञान अनुसंधानों में तभी तक भटकता है जब तक कि उसे पूर्ण आत्मज्ञान नहीं हो जाता है। दार्शनिकों के अनुसार आत्मज्ञान ही मूल विज्ञान है। छात्रों के लिए मॉडल बनाना, वैज्ञानिक प्रयोग करना यह सब विज्ञान परियोजना कहलाती है जो छात्रों की शैक्षिक गतिविधियों के साथ-साथ कुछ अपने आप करने की कोशिश करने के लिए प्रेरित करती है।

अतः सभी छात्रों को स्कूल में संचालित की जाने वाली सभी वैज्ञानिक गतिविधियों में शामिल होना चाहिए और भविष्य के निर्माण के लिए अभी से ही वैज्ञानिक प्रयोग कर, अपना लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। उक्त उद्गार स्थानीय सेन्ट आर0 सी0 कान्वेंट स्कूल शामली में आयोजित ‘‘तकनीकि विकास कार्यषाला’’ के अवसर पर मुख्य अतिथि सहोदय सी0बी0एस0ई0 के चेयरमैन श्री यशपाल पंवार ने व्यक्त किये।

कार्यशाला स्कूल डायरेक्टर भारत संगल के दिशा-निर्देशन में सम्पन्न की गई। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहां कि विधार्थियों में पढाई के साथ-साथ अन्य तकनीकि विकास करने के लिए समय-समय पर विज्ञान कार्यशालाओं का आयोजन विद्यालय मे किया जाता है, जिससे विधार्थी पढा़ई के साथ-साथ तकनीकि के क्षेत्र में भी पारंगत बने और अपने लिए एक सफल भविष्य का निर्माण करने मे अग्रसर रहे। आज हरिद्वार से आये कुशल इंजीनियर्स की टीम द्वारा कक्षा-6 से कक्षा-10 तक छात्रों को भूकम्प अलार्म प्रोजेक्ट बनाना


सिखाया गया उसके बाद छात्रों ने स्वयं अर्थ-क्वेक अलार्म (भूकम्प अलार्म) के अपने-अपने प्रोजेक्ट तैयार किये। भूकम्प अलार्म प्रोजेक्ट बनाने के बारे में छात्रों को बताया कि जब भूकम्प की स्थिति बनती है तो इस उपकरण से तेज आवाज आयेगी जिससे भूकम्प के बारे में ज्ञात हो जायेगा। इस उपकरण में बच्चों ने बजर, इलेक्ट्रिक वायर, हुक, मैगनेट, स्विच व बेटरी का इस्तेमाल करके प्रोजेक्ट तैयार किया। प्रोजेक्ट द्वारा छात्रों को यह ज्ञान प्राप्त हुआ कि जब भूकम्प आयेगा तो प्रोजेक्ट में लगा हुआ अलार्म ध्वनि उत्पन्न करने लगेगा, जिससे हमें पता चल जायेगा कि भूकम्प आया है।  

इस अवसर पर प्रधानाचार्या श्रीमती मीनू संगल, अरविन्द शर्मा, विशाल तायल, नरेशचन्द, कुलदीप सिंह, सुरक्षा, हरिओम वत्स, मौ0 फैजान, मनोज मैनवाल, प्रभा रानी, शालिनी गर्ग, एकता अरोरा, आकाश संगल, सीमा जैन, अनिमेष, शेखर कपूर, गीता शर्मा, मनीष मित्तल, अनिता वत्स, आशा सेठ, अंजू , प्रतिभा, पंकज गोयल, भावना देवी, अरविन्द कुमार, निशा शर्मा, सरोज अरोरा, रीना, अंशुल गुप्ता, ऊषा आर्या, अमित पंवार, जसविन्द्र कौर, पूनम जैली, अनूप सिंह, कविता, स्वाति, अमिता, अनुराधा, अजय गोयल, अंजना गर्ग, रिचा आर्या, हर्षित मित्तल, आंचल, शिल्पी, कनिष्का मित्तल, आशीष कुमार उपस्थित रहे।  


अरविन्द शर्मा

कोर्डिनेटर,

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