Wednesday, July 22, 2020

महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त जी के बलिदान दिवस पर कोटि कोटि नमन करते हुए आओ जाने आजाद भारत में उनके गुमनाम सफर की दास्तां

भारत की आजादी के महान क्रांतिकारियों में एक नाम बटुकेश्वर दत्त का आता है जिनके परम मित्रों में से एक शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह  भी थे 1 दिन लाहौर सेंट्रल जेल में सरदार भगत सिंह ने बटुकेश्वर दत्त का ऑटोग्राफ लिया था लेकिन दुर्भाग्य रहा आजाद भारत की सरकारों को दत्त आदि जैसे क्रांतिकारियों की कोई परवाह नहीं थी इसका जीता जागता उदाहरण उनका जीवन संघर्ष है देश की आजादी के लिए अनेक जुल्म अंग्रेजों के  सहे और 15 वर्ष  जेल की सलाखों में गुजारने पड़े    क्रांतिकारियों में सिर्फ बटुकेश्वर दत्त ने ही आजाद भारत में अंतिम सांस ली थी   क्रांतिकारी भी कभी फुर्सत के लम्हों में सोचते होंगे  हम आखरी दम तक लड़कर देश को आजाद कर आएंगे अगर जीवित रहे तो देशवासी हमें बहुत सम्मान देंगे   और देश में अपना राज होगा सांप्रदायिक ताकतों का अंत  होगा लेकिन सब कुछ  उनकी सोच के विपरीत हुआ यह सब आजाद भारत में महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त जी ने अपनी आंखों से देखा  और अपनी बेकसी को कोसा ,  देश आजाद हो गया  और दत्त को आर्थिक संकटों से गुजरना पड़ा कभी दत्त ने ख्यालों में भी नहीं सोचा होगा जिस देश को हमने हमारे साथी क्रांतिकारियों ने बलिदान देकर इस को आजाद कराया, और आज आजाद भारत में दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं एक नौकरी के लिए जगह-जगह दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं,  तो कभी सिगरेट कंपनी में एजेंट बनना  पड़ा तो कभी पटना की सड़कों पर टूरिस्ट गाइड बनकर घूमना पड़ा  ,
जिस आजाद भारत में उन्हें सिर आंखों पर बिठाना चाहिए था उसमें उनकी घोर बेकद्री हुई 
बटुकेश्वर दत्त के एक मित्र चमनलाल आजाद लिखते हैं क्या दत्त जैसे  क्रांतिकारी को भारत में जन्म लेना चाहिए था परमात्मा ने इतने महान शूरवीर को हमारे देश में जन्म देकर भारी भूल की है बड़े दुख का विषय है जिस व्यक्ति ने देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा दी और फांसी से बाल-बाल बचने के बाद आज वह आजाद भारत में गंभीर स्थिति में कैंसर रोग की बीमारी से ग्रस्त अस्पताल में एड़िया रगड़ रहा है और उसको देश में देखने वाला कोई नहीं,
कहते हैं किसी पत्रकार ने बटुकेश्वर  दत्त जी का का इंटरव्यू लिया तो उनकी दुर्दशा की खबर अखबार में प्रकाशित हुई तो सरकारें अपनी बदनामी छुपाने के लिए जागी और कुछ दिनों बाद  उनका हालचाल लेने पंजाब के मुख्यमंत्री रामकिशन उनसे मिलने पहुंचे , नीर भरी आंखों से बटुकेश्वर दत्त ने मुख्यमंत्री से कहा मेरी एक अंतिम इच्छा है इसे आप पूरा करें मेरा दाह संस्कार मेरे मित्र सरदार भगत सिंह की समाधि के बगल में किया जाए  ,
ऐसी मित्रता वाले थे हमारे क्रांतिकारी , आज ही के दिन 20 जुलाई 1965 की रात 1:50 पर भारत मां के वीर सपूत इस बेवफा दुनिया से सदा के लिए अलविदा कर गए
और उनकी अंतिम इच्छा को सम्मान देते हुए उनका अंतिम संस्कार भारत पाक सीमा के करीब हुसैनीवाला में भगत सिंह राजगुरु सुखदेव की समाधि के पास किया गया
साथियों आज बटुकेश्वर दत्त जैसे महान क्रांतिकारी की  आजाद भारत में हुई बेकद्री ,की कहानी सुनकर दिल में हू की  हिलोरे उठने लगती हैं आंसू रोके नहीं रुकते , कि आजाद भारत में गुलामी से भी बदतर जिंदगी से गुजरना पड़ा महान क्रांतिकारी बटुकेश्वर दत्त को ,
धिक्कार है ऐसी आजाद सरकारों पर
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳👏👏👏👏👏 कोटि-कोटि नमन करते हुए श्रद्धांजलि के पुष्प अर्पित करता हूं दत्त जी को और उनके अनेक क्रांतिकारी वीरों को नमन करते हुए उनके चरणों में शीश झुकाता हूं 👏👏👏👏👏👏👏👏👏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 जय हिन्द जय भारत
आओ क्रांतिकारियों के सम्मान की मुहिम को आगे बढ़ाएं और क्रांतिकारी संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुख्य संगठन के मिलकर अपने क्रांतिकारियों को खोए हुए सम्मान को वापस दिलाएं
🇮🇳इंकलाब जिंदाबाद🇮🇳 बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष ,संगठन

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