Sunday, July 19, 2020

क्रांतिकारी मंगल पांडे देश को अंग्रेजों की परतंत्रता से मुक्त करवाने के लिए 18 सो 57 में ज्वाला को धधकाने वाले क्रांतिकारी थे मंगल पांडे अंग्रेजी शासन के विरुद्ध चले लंबे संग्राम का बिगुल बजाने वाले पहले क्रांतिकारी थे

मंगल पांडे का जन्म 30 जनवरी 1831 को ग्राम नगवा बलिया उत्तर प्रदेश में हुआ था कुछ लोग इनका जन्म ग्राम शहर पुर जिला साकेत उत्तर प्रदेश तथा जन्म तिथि 19 जुलाई 1827 भी मानते हैं युवा अवस्था में सेना में भर्ती हो गए थे उन दिनों गुलामी के विरुद्ध आग सुलग रही थी देश में हर तरफ अंग्रेज अत्याचार  कर रहे थे  अंग्रेज जानते थे हिंदू गाय को पवित् और मुस्लिम सूअर से घृणा करते हैं फिर भी सैनिकों को जो कारतूस देते थे उसमें गाय और सुअर की चर्बी मिली होती थी इन्हें सैनिक अपने मुंह से खोलते थे ऐसा बहुत समय तक चलता रहा सैनिकों को इसके बारे में पता नहीं था मंगल पांडे उस समय बैरकपुर में 34 वी हिंदुस्तानी बटालियन में तैनात थे जब पानी पिलाने वाले हिन्दू ने इसकी जानकारी  सैनिकों को दी तो , इससे सैनिकों में आक्रोश फैल गया और मंगल पांडे से रहा नहीं गया 29 मार्च अट्ठारह सौ सत्तावन को उन्होंने विद्रोह कर दिया  जब भारतीय हवलदार मेजर ने जाकर अंग्रेज अफसर सार्जेंट मेजर ह्यूसन को बताया तो वह घोड़े पर बैठकर छावनी की ओर गया मंगल पांडे सैनिकों से कह रहे थे अंग्रेज हमारे धर्म को भ्रष्ट कर रहे हैं हम भारतीयों को नौकरी छोड़ देनी चाहिए मैंने प्रतिज्ञा की है जो भी अंग्रेज मेरे सामने आएगा उसे मैं मार दूंगा सार्जेंट मेजर ने सैनिकों को मंगल पांडे को पकड़ने को कहा जब तक मंगल पांडे की गोली ने मेजर का सीना छलनी कर दिया तब तक चारों ओर शोर मच गया 34 वी पलटन के कर्नल हिलट ने भारतीय सैनिकों को मंगल पांडे को पकड़ने का आदेश दिया पर वह इसके लिए तैयार नहीं हुए फिर अंग्रेज सैनिकों को बुलाया गया मंगल पांडे चारों ओर से गिर गए वह समझ गए अब बचना मुश्किल है उन्होंने अपनी बंदूक से खुद को गोली मार ली मगर वह उससे मरे नहीं घायल होकर गिर गए और अंग्रेज सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया जिसके बाद सैनिक न्यायालय में मुकदमा चलाया गया उन्होंने कहा देश को आजाद कराना अगर अपराध है तो मैं हर दंड भुगतने को तैयार हूं न्यायाधीश ने उन्हें फांसी की सजा सुना दी और इसके लिए 18 अप्रैल का दिन निर्धारित किया पर अंग्रेजों ने देश भर में विद्रोह फैलने के डर से घायल अवस्था में ही 8 अप्रैल अट्ठारह सौ सत्तावन को उन्हें फांसी देदी  ।बैरकपुर छावनी में उन्हें कोई फांसी देने को तैयार नहीं हुआ  अतः कोलकाता से चार जल्लाद जबरन बुलाने पड़े मंगल पांडे ने जो क्रांतिकारी की मशाल जलाई उसने आगे चलकर 18 सो 57 के व्यापक स्वाधीनता संग्राम का रूप लिया यद्यपि भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ पर उस प्रथम क्रांतिकारी मंगल पांडे के बलिदान को सदा श्रद्धांजलि  पूर्वक स्मरण किया जाता है
ऐसे महान क्रांतिकारी थे मंगल पांडे जितने भी क्रांतिकारी हुए सभी हमारे लिए प्रेरणा स्रोत पूजनीय है भारतवासी सदैव इनके बलिदान के ऋणी रहेंगे
महान क्रांतिकारी मंगल पांडे जी की जयंती पर समस्त क्रांतिकारी संगठन , आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन उनकी  उनकी जयंती पर कोटि-कोटि नमन करते हुए श्रद्धा के पुष्प अर्पित करता👏👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐🌸🌸🌸🌷🌷🌷🌺🌺🌷🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳 इन्कलाब जिंदाबाद
संगठन में कानपुर के अंदर 2 वर्ष से क्रांतिकारी मंगल पांडे जी के नाम पर कानपुर नगर का बड़ा चौराहा   का नाम रखा जाए
हमको उम्मीद है आप सभी के सहयोग से क्रांतिकारी को सम्मान के रूप में कानपुर नगर बड़ा चौराहे का नाम मंगल पांडे रखा जाएगा
जय हिन्द
बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन

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