यकीन नहीं होता आज के हालातो पर हर कुछ ही महीनों में हमारे सेना के वीर जवानों के साथ अनहोनी घटना घटती है और बड़ी संख्या में हम अपने जवानों को खो देते है पुलमावा के बाद लद्दाक, एल एसी पर चीन सैनिकों की गद्दारी से लोहा लेते भारत माता की रक्षा करते हुए हमारे जवान शहीद हो गए जैसे ही जवानों के शहादत की खबर देश मै फैली सारा देश शहादत के सागर में गमसीन हो गया ,नम आंखों,से हर कोई उन्हें सलामी दे रहा , दिल में हिलोरें
मारते हुए ए ही आवाज उठती आपकी शहादत बेकार नहीं जाने देंगे आखिर कब तक हम ऐसा करते रहेंगे , जवानों की शहादत पर ही हम क्यों जागते हैं उस से पहले हम इनके प्रति क्यों नहीं सजग रहते , सेना को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति क्यों नहीं , देते, क्योंकि दर्द उन्हीं को होता है साहिब जिनके चोट लगती है , जिसके नहीं लगी चोट , वो क्या समझे दर्द, , दर्द उनकी मां से पूछिए नौ महीने अपनी कोख , में पाला, सूखे में अपने नन्हे जिगर के टुकड़े को सुलाया खुद गीले बिस्तर पर सोई , दर्द उस पिता से पूछिए जिसने उंगली पकड़ कर चलना सिखाया सोचा था कभी बढ़ा होकर बुढ़ापे का सहारा बनेगा दिन रात मेहनत करके उसके कैरियर संवारने के लिए सब कुछ दाव पर लगाया , दर्द उन मां बाप से पूछिए जिनके घर का इकलौता चिराग था , दर्द उस भाई से पूछिए जिसका
दाहिना हाथ था , दर्द उस बहन से पूछिए रखी हो या भैया दूज थाल सजा कर राह तकती बहना , दर्द उस पत्नी से पूछिए साजना की चाह में सिंदूर सजाए रोज सजा संवरती थी वो सजनी, दर्द उन बच्चों से पूछिए जिनका बचपन गया ,और गई वो सब खुशियां , और फिर चंद दिनों श्रद्धांजलि ,कैंडिल, और , पुतले दहन का दौर शुरू हुआ, और चंद दिनों में शांत हो गया मानो जैसे हमारे देश में कोई घटना नहीं आखिर क्यों हम दिखावा स्वार्थ की देश भक्ति की ओर जा रहे हैं देश की माटी की रक्षा करते कितने वीर शहीद हुए आज तक कोई भी देश का नुमाइंदा मदद तो दूर जाकर उनका हाल तक नहीं लेते किन परिस्थितियों में जी रहे हैं शहीद के माता पिता और बच्चे जिनका लाल देश व देश वासियों की रक्षा करते शहीद हो गया जवान की शहादत वाले दिन पूरी राष्ट्र भक्त और परिवार के प्रति सहानभूति दिखाते हैं मानो जैसे परिवार को सारी उमर आर्थिक मदद देते रहेंगे , ऊंची राष्ट्रभक्त आवाज उठेंगी आपकी शहादत का देश कर्ज दार रहेगा
ए सब एक सपने जैसी आवाजे लगती है
क्योंकि ऐसा इस लिए आजादी के बाद देश वासियों ने उस वक्त भी कहा था जब देश केलिए सरदार भगत सिंह , चंदरशेखर आजाद , अशफाक उल्ला खां , सरदार ऊधम सिंह, पं रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह आदि ने देश के लिए बलिदान दिया उस वक्त से लेकर आज तक किस सरकार ने इन शहीदों के परिवार की खैर खबर ली है सब बेचारे गुनाम जिंदगी जी कर चले गए और जी रहे हैं
इसमें हम सब देश वासियों की कमी है हम शहादत वाले दो दिन तक पूरे दमखल के साथ परिवार के साथ खड़े होते है और भावुक होकर नम् आंखो से श्रद्धांजलि देने हैं , हमको अपनी कार्य शैली में परिवर्तन लाना होगा हमें शहीदों के परिवारों के प्रति सदैव समर्पित होकर मदद में आगे बढ़ें ,
एक दिन नहीं दो दिन नहीं , हर पल उनको याद करते हुए सम्मान में खड़े रहें
कोटि कोटि नमन वीर जवानों को👏👏👏👏👏👏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌷🌷🌷🌷🌷व्यक्तिगत विचार
बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
मारते हुए ए ही आवाज उठती आपकी शहादत बेकार नहीं जाने देंगे आखिर कब तक हम ऐसा करते रहेंगे , जवानों की शहादत पर ही हम क्यों जागते हैं उस से पहले हम इनके प्रति क्यों नहीं सजग रहते , सेना को स्वयं निर्णय लेने की शक्ति क्यों नहीं , देते, क्योंकि दर्द उन्हीं को होता है साहिब जिनके चोट लगती है , जिसके नहीं लगी चोट , वो क्या समझे दर्द, , दर्द उनकी मां से पूछिए नौ महीने अपनी कोख , में पाला, सूखे में अपने नन्हे जिगर के टुकड़े को सुलाया खुद गीले बिस्तर पर सोई , दर्द उस पिता से पूछिए जिसने उंगली पकड़ कर चलना सिखाया सोचा था कभी बढ़ा होकर बुढ़ापे का सहारा बनेगा दिन रात मेहनत करके उसके कैरियर संवारने के लिए सब कुछ दाव पर लगाया , दर्द उन मां बाप से पूछिए जिनके घर का इकलौता चिराग था , दर्द उस भाई से पूछिए जिसका
दाहिना हाथ था , दर्द उस बहन से पूछिए रखी हो या भैया दूज थाल सजा कर राह तकती बहना , दर्द उस पत्नी से पूछिए साजना की चाह में सिंदूर सजाए रोज सजा संवरती थी वो सजनी, दर्द उन बच्चों से पूछिए जिनका बचपन गया ,और गई वो सब खुशियां , और फिर चंद दिनों श्रद्धांजलि ,कैंडिल, और , पुतले दहन का दौर शुरू हुआ, और चंद दिनों में शांत हो गया मानो जैसे हमारे देश में कोई घटना नहीं आखिर क्यों हम दिखावा स्वार्थ की देश भक्ति की ओर जा रहे हैं देश की माटी की रक्षा करते कितने वीर शहीद हुए आज तक कोई भी देश का नुमाइंदा मदद तो दूर जाकर उनका हाल तक नहीं लेते किन परिस्थितियों में जी रहे हैं शहीद के माता पिता और बच्चे जिनका लाल देश व देश वासियों की रक्षा करते शहीद हो गया जवान की शहादत वाले दिन पूरी राष्ट्र भक्त और परिवार के प्रति सहानभूति दिखाते हैं मानो जैसे परिवार को सारी उमर आर्थिक मदद देते रहेंगे , ऊंची राष्ट्रभक्त आवाज उठेंगी आपकी शहादत का देश कर्ज दार रहेगा
ए सब एक सपने जैसी आवाजे लगती है
क्योंकि ऐसा इस लिए आजादी के बाद देश वासियों ने उस वक्त भी कहा था जब देश केलिए सरदार भगत सिंह , चंदरशेखर आजाद , अशफाक उल्ला खां , सरदार ऊधम सिंह, पं रामप्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह आदि ने देश के लिए बलिदान दिया उस वक्त से लेकर आज तक किस सरकार ने इन शहीदों के परिवार की खैर खबर ली है सब बेचारे गुनाम जिंदगी जी कर चले गए और जी रहे हैं
इसमें हम सब देश वासियों की कमी है हम शहादत वाले दो दिन तक पूरे दमखल के साथ परिवार के साथ खड़े होते है और भावुक होकर नम् आंखो से श्रद्धांजलि देने हैं , हमको अपनी कार्य शैली में परिवर्तन लाना होगा हमें शहीदों के परिवारों के प्रति सदैव समर्पित होकर मदद में आगे बढ़ें ,
एक दिन नहीं दो दिन नहीं , हर पल उनको याद करते हुए सम्मान में खड़े रहें
कोटि कोटि नमन वीर जवानों को👏👏👏👏👏👏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🌷🌷🌷🌷🌷व्यक्तिगत विचार
बी एस बेदी राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्था आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन
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