अलीगढ़। मोहम्मद अली फाउंडेशन द्वारा सर सैयद डे 2025 का आयोजन ऐतिहासिक जमांका पैलेस, अलीगढ़ में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ किया गया। यह कार्यक्रम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के संस्थापक और महान शिक्षाविद सर सैयद अहमद खाँ की विरासत को सम्मानित करने और शिक्षा व सामाजिक सुधार में उनके योगदान को याद करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मुराद अहमद ख़ाँ, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ फॉरेन लैंग्वेजेज़, एएमयू ने की। उन्होंने वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक और शैक्षणिक परिदृश्य में सर सैयद की शैक्षणिक विचारधारा पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सैयद ज़िया-उर-रहमान, विभागाध्यक्ष (फार्माकोलॉजी), एएमयू रहे। अपने संबोधन में उन्होंने सर सैयद अहमद खाँ की दूरदर्शी सोच को याद करते हुए युवाओं से उनके बताए रास्ते — तर्क, शिक्षा और कौमी एकता — पर चलने का आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. अज़हर जमी़ल, पूर्व प्राचार्य, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक बॉयज़, एएमयू ने तकनीकी शिक्षा के महत्व पर चर्चा की और बताया कि किस प्रकार सर सैयद की विचारधारा ने आधुनिक भारत के निर्माण में भूमिका निभाई।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और समाजसेवी मोहम्मद ज़ियाउद्दीन ने एकता, धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और सामाजिक सुधार की आवश्यकता पर बल दिया तथा सर सैयद के मिशन से प्रेरणा लेने की बात कही।
प्रो. सुहैल सबी़र, डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री, एएमयू, ने अलीगढ़ मूवमेंट की ऐतिहासिक और दार्शनिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सर सैयद के प्रयासों ने भारतीय मुसलमानों में आधुनिक शिक्षा और सुधार की अलख जगाई।
एआईएमआईएम अलीगढ़ के ज़िला अध्यक्ष ने अपने भाषण में भारत में मुसलमानों की मौजूदा स्थिति और चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने राजनीतिक जागरूकता, सामाजिक एकता और शिक्षा को सशक्तिकरण के प्रमुख साधन बताया।
कार्यक्रम के संयोजक एवं मोहम्मद अली फाउंडेशन के संस्थापक मोहम्मद अली ने अपने मुख्य भाषण में सर सैयद अहमद खाँ को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एएमयू के 105 वर्षों की गौरवशाली यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि सर सैयद का दृष्टिकोण अपने समय से कहीं आगे था — विवेक, समावेश और प्रगति पर आधारित।
उन्होंने बताया कि एएमयू ने न केवल भारतीय मुसलमानों के शैक्षणिक, सामाजिक और राजनीतिक उत्थान में योगदान दिया, बल्कि इसके छात्र आज विश्व के अनेक देशों — पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब, ब्रिटेन और मध्य पूर्व — में सर सैयद की शिक्षाओं का परचम लहरा रहे हैं।
उन्होंने सर सैयद के प्रसिद्ध कथन का उल्लेख करते हुए कहा — “कौमें शिक्षा से बनती हैं” — और कहा कि सर सैयद को सच्ची श्रद्धांजलि तभी दी जा सकती है जब हम शिक्षा को मज़बूत करें, एकता को बढ़ाएं और भावी नेतृत्व तैयार करें।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. वसी बेग (डायरेक्टर, एसीएन कॉलेज, अलीगढ़) और निज़ाम मलिक, संयुक्त संयोजक, ने किया। उन्होंने सभी अतिथियों, शिक्षाविदों, राजनीतिक नेताओं और छात्रों का हार्दिक स्वागत किया।
विशेष धन्यवाद एडीएच ग्रुप के सदस्यों — सैयद असद (संयुक्त संयोजक), चौधरी आसिफ अली, ज़हीर ख़ान, कुनवर हारून, आसिफ ख़ान और अयूब ख़ान — को दिया गया, जिनके सहयोग और अनुशासन ने आयोजन को सफल बनाया।
कार्यक्रम में शिक्षाविदों और सामाजिक क्षेत्रों की अनेक हस्तियाँ उपस्थित रहीं, जिनमें प्रमुख थे — डॉक्टर शाजिया नाज एडवोकेट जिला उपाध्यक्ष कांग्रेस पार्टी सहारनपुर, डॉ. मोहसिन ख़ान, असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी पॉलिटेक्निक बॉयज़, एएमयू;
डॉ. मोहम्मद ख़ालिद, असिस्टेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ स्टैटिस्टिक्स, एएमयू;
डॉ. ज़फ़र, डॉ. अनस, कुनवर नसीम, फरहत अली (भारत एजुकेशन, नेशनल प्रेसिडेंट), हाजी अब्दुल समद, रिज़वान (पूर्व सभासद), सद्दाम हुसैन, सैयद असलम, डॉ. जुनैद, ज़फ़रुद्दीन, एडवोकेट साजिया, निखत ख़ान, मेह़नाज़, निलोफर लियाकती, सिम्मी, युसरा, महक बी, हारून हफ़ीज़, एडवोकेट तनवीर, गुलफाम आदि।
यह आयोजन सर सैयद अहमद खाँ के आदर्शों को जीवंत करने और नई पीढ़ी को उनके मिशन से जोड़ने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ। एनजीओ दर्पण राष्ट्रीय समाचार पत्रिका के लिए पत्रकार गुलवेज़ आलम की खास रिपोर्ट
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