Saturday, July 30, 2022

भारत की स्वाधीनता, व,1919 नरसंहार के बदले की प्रतिगा ने बनाया , शेर सिंह से सरदार ऊधम सिंघ , कोटि कोटि नमन


शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मरने वालों का यही वाकी निशा होगा , किसी शायर की ए पंक्तियां उन वीर क्रांतिकारियों  के बलिदान में  लिखी गईं थीं कि देश वासी और आजाद भारत की सरकारें   इनकी ,यादगार , उन्हें नमन और पुष्प अर्पित करने के लिए एक मेले के रूप में एकत्र हुआ करेंगी, अफसोस यह एक मुहावरा बनकर रह गई , देश की स्वाधीनता के लिए हर वीर क्रांतिकारी ने अपनी वीरता को प्रदर्शित किया  ,  चाहे वह आजाद जी हो सरदार भगत सिंह जी हो ,नेता जी सुभाष चन्द्र बोस , रामप्रसाद बिस्मिल  जी अशफाक जी  राजगुरु जी  सुखदेव जी आदि हों उन्हीं में से एक सरदार ऊधम सिंह 

भारत मां का वीर योद्धा है  जिसने अपनी वीरता का एक अनौखी अदभुत मिसाल पेश की , घटना है 1919 की पंजाब के जलियांवाले  बाग की  अंग्रेजों द्वारा बनाए कानूनी रॉयल एक्ट , इस दमन कारी नीति के विरोध में शांति पूर्वक एक सभा हो रही थी  जिसमे जवान , बुजुर्ग , महिलाएं , बच्चे सभी एक बड़ी संख्या में एकत्र हुए थे  उस बाघ में आने जाने का मुख्य एक ही द्वार था दूसरा कोई रास्ता नहीं था , एक बालक जिसकी आयु लगभग  10से 12 साल के बीच थी जिसका नाम शेर सिंह था जो सभा में आए क्रांतिकारियों को पानी पिलाने की सेवा कर रहा था  तभी होनी ने एक दस्तक दी जरनल डायर ने फोर्स के साथ बाग को चारों तरफ से घेर लिया , और निहत्थे भारतीयों के साथ जालिम ने वो बाबार्ता दिखाई की अपनी फोर्स को गोली चलाने का आदेश देदिया , 

चारों तरफ जान बचाने के लिए  अफरा तफरी मच गई, बाग में एक कुआ था जिसमे जान बचाने के लिए सैकड़ों लोगों ने छलांग लगा दी ,  चंद मिनटों में बाग की मिट्टी  लहू से   लथ पथ हो गई, हायारे को महिलाओं बच्चों पर जरा भी रहम नहीं आया , यह दर्द नाक कतलेआम आपने भारतीयों का बालक शेर सिंह ने अपनी आंखों के सामने अपने भाइयों को तड़पते मरते देख कर उसकी आंखों में हत्यारे जरनल डायर की तस्वीर कैद हो गई , और  बाग की रक्त वाली मिट्टी को चूमते हुए प्रतिज्ञा ली, डायर  दुनियां के किसी कोने में होगा में उसे उसी स्थान पर मौत के घाट उतार कर  अपने निर्दोष भाइयों के कतलेआम का बदला लूंगा जिसके लिए मुझे  कोई भी कुर्बानी क्यों ना देनी  पड़े, वहीं मेरी जिंदगी का मकसद होगा, एक तरफ शेर सिंह यानी सरदार ऊधम सिंह का लक्ष्य ,कुछ ही दिनों बाद उनके पिता का देहांत हो गया ,एक तरफ आर्थिक तंगी दूसरी  पिता का सर से साया हट गया , फिर मां भी संसार से चल बसीं पूरी तरह से एक अनाथ हो गए उमर छोटी,और  जिम्मेदारी का भार बहुत बड़ा , बड़े भाई ने परवरिश को कुछ सालों बाद परेशानियों का सरदार ऊधम सिंह पर मुसीबतों का  पहाड़ टूट पड़ा उनके बड़े भाई की बीमारी के कारण मौत हो गई अब तो वह पूरी तरह से अनाथ हो गए , परेशानियां उन्हें एक चट्टान की तरह मजबूत बनाती गई और उनका लक्ष्य उतना ही नजदीक आत गया  अनाथालय में रहे , पढ़ाई अपनी जारी रखी ढाबे पर झूठे बर्तन साफ किए ,  परेशानी उन्हें अपने मकसद से हिला ना सकी सरदार शेर सिंह ने पढ़ाई के लिए विदेश जाने की तैयारी की और पासपोर्ट बनवाने के लिए शेर सिंह  से बना सरदार ऊधम सिंह भारत का शेर माईकल ओ डायर का काल बनकर  जा पंहुचा लंदन की धरती पर , ज्यों ज्यों लक्ष्य नजदीक आता गया सरदार ऊधम सिंह को  अपने भारतीय भाइयों के कतलेआम की तस्वीर उनकी आंखों आती गई ,जिस घड़ी का सरदार ऊधम सिंह को 21 वर्षों तक लंबा  इंतजार करना पड़ा  अब वो घड़ी आ गई  तारीख थी 13 मार्च  1940 को लंदन के कॉक्सटन हॉल में  ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की एक बैठक चल रही थी  

 उसी सभा में माईकल ओ डायर  भी नरसंहार का  आरोपी था , जरनल डायर की किसी  बीमारी  के कारण पहलेही मौत हो चुकी थी ,सरदार ऊधम  सिंह माईकल ओ डायर का काल बनकर बैठे थे     

माईकल अपना वक्त दे रहा था उसी वक्त अपनी पुस्तक में रखी पिस्तौल को निकाल कर नजदीक पंहुचकर अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करते हुए उसके सीने में गोली दाग दी और दुश्मन वहीं ढेर हो गया   

सरदार ऊधम सिंह अपनी जगह पर खड़े रहे  किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई उन्हें पकड़ के अपनी पिस्तौल फेंकते हुए ऊधम सिंह ने कहा लंदन वासियों फड़ लो भारत शेर आ गया , मेरा मकसद पूरा हुआ मैने अपने भाइयों की मौत का बदला ले लिया हत्यारे को मार कर ऊधम सिंह को गिरफ्तार कर लिया  अदालत में,मुकद्दमा  4 जून 1940 को हत्या का दोसी ठहराया गया ,  31 जुलाई 1940 को भारत मां के वीर सपूत को लंदन की पेंटनविले जेल में फांसी देकर शहीद कर दिया गया, ऐसा दिलेर वीर थे सरदार ऊधम सिंह जिसने दुश्मन को उसकी सरजमीं पर मौत के घाट उतारा ,   

 ऐसे वीरो को आजाद भारत की सरकारों ने भुला दिया , जोकि आज तक इनको शहीद नहीं माना ना दर्जा दिया  इनको भी जाति मजहब के बंधनों  की बेड़ियों में बांध दिया, 

विगत सात वर्षों से क्रांतिकारी संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन क्रांतिकारियों को भारत से शहीद का दर्जा और भारत रत्न देने की मांग निरंतर करता आ रहा है , और इनके नाम पर नाम चीज स्थानों के नाम,और शिक्षानीति में लागू  व देश के हवाई अड्डे , एयार पोर्ट , , रेलवे , मेट्रो स्टेशन आदि  नाम परिवर्तन कर रखे जाएं    

 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳  क्रांतिकारी सरदार ऊधम सिंह जी के बलिदान दिवस पर  कोटि कोटि नमन करते 

हुए , उनके बलिदान दिवस पर पुनः  संगठन की ओर से  उत्तर प्रदेश सरकार से  मांग की जा रही है  उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय जेवर एयरपोर्ट सरदार उधम सिंह के नाम पर  

 नामकरण  कर भारत मां के वीर सपूत को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित  शहीद को सम्मान दे यही आपका राष्ट्रभक्ति में  अतिसरहनिय कदम होगा  

सरदार ऊधम सिंह की शहादत पर कोटि कोटि नमन 🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳

भारत मां के सभी वीर सपूतों  कोटि कोटि नमन  

इंकलाब जिंदाबाद ,  लेख ,बी एस बेदी ,राष्ट्रीय अध्यक्ष , क्रांतिकारी संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन 

@Ngo Darpan

8010884848

7599250450

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