उत्तर प्रदेश के जनपद फिरोजाबाद तहसील टूंडला मैं दिनांक 27/12/21 को एमपी रोड नई बस्ती क्रांतिकारी संगठन आप और हम राष्ट्रीय भ्रष्टाचार अपराध मुक्ति संगठन के प्रदेश कार्यालय व्हाइट हाउस पर दशमेश पिता सरबंसदानी साहिब श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के साहिब जादे बाबा जोरावर सिंघ जी बाबा फतेह सिंघ जी का शहादत दिवस बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित किए , संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एस बेदी ने कहा गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहबजादे बाबा जोरावर सिंघ जी का जन्म 28 नवंबर सन 1695 में आनंद पुर साहिब में हुआ और सबसे छोटे साहिबजादा बाबा फतेह सिंघ जी का जन्म 12 दिसंबर 1699 आनंदपुर साहिब हुआ में हुआ ,, अल्पायु में बेमिसाल शहीदी देकर दुनिया को पैगाम दे गए आज ही के दिन क्रूर मुगल बादशाह सरहद नवाब वजीर खान ने जिंदा दीवार में चुनवा दिया था । गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार सरसा नदी पर बिछड़ गया दो बड़े साहिब जादे पिता गुरु गोविंद सिंह जी के साथ और छोटे साहबजादे दादी मां माता गुजरी जी के साथ रह गए बाबा जोरावर सिंघ जी की उम्र 8 वर्ष और बाबा फतेह सिंह जी की उम्र महज 6 वर्ष परिवार से मिलने की ना कोई उम्मीद ना सहारा ना कोई उनके पास सैनिक रास्ते में उनको गंगू ब्राह्मण मिला जो कि गुरु जी की 23 साल रसोईया बनकर सेवा की गंगू ने उन्हें आश्वासन दिया और अपने घर ले गया जालिम गद्दार ने महलों की खातिर सरहिंद के नवाब वजीर खान को सूचना दे दी के गुरु जी के दो छोटे साहबजादे और उनकी माता गुजरी जी मेरे घर पर ठहरे हैं सवेर होते ही मुगल सैनिकों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया कई दिनों तक उन्हें बर्फ के ठंडे बुर्ज में रखा गया कड़ाके की सर्दी सर्दी में कोई कपड़ा भी नहीं दिया गया , सुबह होते ही दोनों साहिब जादों को नवाब की कचहरी में पेश किया गया भरी सभा में बाबा जोरावर सिंघ जी बाबा फतेह सिंघ जी ने सर ऊंचा करके जयकारा लगाया , बोले सो निहाल सत श्री अकाल , छोटे बच्चों की वीरता को देखकर भरी कचहरी दंग रह गई क्योंकि नवाब के सामने इस तरह हिम्मत करने की किसी की जरूरत नहीं होती थी , साहिब जादो को नवाब से सलाम करने को कहा और सर झुकाने को दोनों ने सीना तान कर सर उठा कर कहां यह सर केवल अकाल पुरुख , या गुरु पिता के अलावा किसी को नहीं झुकता ऐसा करके हम अपने दादा जी की कुर्बानी को बर्बाद नहीं करना चाहते सर कटा सकते हैं झुका नहीं सकते , वजीर खान के लाख डराने पर साहिबज़ादे अपने निर्णय पर अटल रहे , क्रूर बादशाह वजीर खान ने दोनों साहिब जादों को जिंदा दीवार में चिंवाने का हुकुम दे दिया , जोरावर सिंघ जोर से बोले ,फतेह सिंघ शोर से बोले , रखो ईंट और गारे चिनो हत्यारे,अंत में जाल्मो ने उन्हें जिंदा दीवार में चिन कर शहीद कर दिया और गुरु के लालों ने हंसते हंसते मौत को गले लगा लिया, और दुनिया को बेमिसाल शहीदी का पैगाम दे गए , आज ऐसी शहादत को हिंदुस्तान ने भुला दिया जिस हिंदुस्तान की नीव गुरु जी के परिवार साहिब जादों के बलिदान के स्तंभों पर टिकी है , आज हर भारतवासी गुरुजी की शहादत का ऋणी है , भारत सरकार गुरु जी के परिवार की शहादत और छोटी साहिब जादू की बेमिसाल शहादत को इतिहास मैं नीति में लागू कर पाठ्यक्रम में स्कूलों में लागू करे और इनके नाम से योजनाएं चलाएं, संस्था के राष्ट्रीय संरक्षक सरदार मनमिंदर सिंह ने कहा , दुनिया के क्रांति इतिहास में गुरु गोविंद सिंह के परिवार की शहादत जैसी मिसाल देखने को नहीं मिलेगी , गुरु जी ने अपने पिता और चार साहिब जादे लाडले , माता जी और अपने पिताजी को इस देश और धर्म की रक्षा के लिए कुर्बान कर दिया , मगर अफसोस है आज हिंदुस्तान में गुरुजी की शहादत को भुला दिया जब तक यह सृष्टि रहेगी तब तक देश गुरुजी के परिवार की शहादत का ऋणी रहेगा, कार्यक्रम में उपस्थित पदाधिकारी गण ,सरदार बी एस बेदी , स मनमिंदर सिंह राष्ट्रीय संरक्षक , समाजसेवी वीर सुरेंद्र पाल सिंह , संरनजीत सिंह सलाहकार, समाजसेवी मनप्रीत सिंह , समाजसेवी दिलीप गॉड ,ज्ञानी हरभजन सिंह प उ प्र महासचिव सिख प्रकोष्ठ , जौंटी, सुनील टैगोर , आचार्य आकाश पुरी, गोसियामी , आचार्य मुकुल , मनीष सिंह , योगेश श्रीवास्तव , कंवलजीत सिंह , सरदार प्रितपाल सिंह, संध्या खन्ना, समाजसेवी बंटी पाल ,, गुरुलीत कौर गुरलीन कौर मनोज कुमार चक
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