Tuesday, December 9, 2025

सहारनपुर में उपभोक्ता संगठन की वैधता पर सवाल–जांच की मांग तेज़

क्या “विश्व उपभोक्ता संगठन–भारत” सचमुच जनता के हित में सक्रिय है, या यह सिर्फ प्रचार का खेल?

रिपोर्ट: गुलवेज़ आलम
एनजीओ दर्पण – देश की एकमात्र राष्ट्रीय पत्रिका, जो सामाजिक संस्थाओं को समर्पित है
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भूमिका: शहर में एक नाम, लेकिन भरोसे के सवाल भी साथ–साथ

सहारनपुर में हाल ही में उपभोक्ता जागरूकता के नाम पर सक्रिय विश्व उपभोक्ता संगठन–भारत नामक संस्था तेजी से सुर्खियाँ बटोर रही है। शहरभर में फैले पोस्टर, सड़क–गलियों में चस्पा पर्चे और तेजी से चल रहा सदस्यता अभियान इसे चर्चा के केंद्र में ला रहा है। लेकिन दूसरी तरफ, इसकी वैधता और पंजीकरण को लेकर उठे सवाल अब और गंभीर होते जा रहे हैं।


पोस्टरों में जो दिखा… और जो नहीं दिखा

पोस्टरों पर “जागरूक रहें, सुरक्षित रहें” और “जागरूक उपभोक्ता, सशक्त उपभोक्ता” जैसे आकर्षक नारे लिखे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर असगर आलम का नाम भी प्रमुखता से दिया गया है, साथ ही एक मोबाइल नंबर भी उपलब्ध है।

लेकिन—
सबसे महत्वपूर्ण जानकारी अनुपस्थित है:

  • पंजीकरण संख्या
  • अधिकृत कार्यालय का पता
  • किसी विभाग से मिली मान्यता
  • संगठन का कार्यक्षेत्र या कानूनी स्थिति

यही कमी लोगों के मन में शंका को बढ़ा रही है।


लोगों की बढ़ती चिंता: “दस्तावेज़ पूछो तो जवाब गोल–मोल”

स्थानीय नागरिकों ने बताया कि संगठन के लोगों का सदस्यता अभियान बहुत तेज़ है, लेकिन जब कोई व्यक्ति उनसे पंजीकरण से जुड़े दस्तावेज़ मांगे—
तो जवाब अक्सर टालमटोल वाला होता है।

नागरिकों का कहना है कि यदि संस्था उपभोक्ता हित में काम कर रही है, तो उसे अपनी वैधता और कानूनी प्रमाण खुले तौर पर साझा करने चाहिए।
पारदर्शिता ही भरोसे की नींव है—और यही अभी सबसे ज्यादा गायब दिखाई देती है।


सामाजिक संगठनों की मांग: “जिला प्रशासन करे जांच”

शहर के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से अपील की है कि—
इस संस्था की प्रामाणिकता, पंजीकरण और गतिविधियों की जांच कराई जाए, ताकि स्पष्ट हो सके कि यह संगठन उपभोक्ता हित में वास्तविक काम कर रहा है या फिर किसी अन्य उद्देश्य से सक्रिय है।


शहर में उठ रहे सवाल

अब सहारनपुर में एक ही चर्चा है—

“क्या यह संस्था सचमुच जनता के हित में सक्रिय है, या फिर किसी और मकसद का मुखौटा?”

जब तक प्रशासन की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आती, लोगों की शंकाएं यूँ ही बढ़ती रहेंगी। नागरिकों को उम्मीद है कि जल्द ही इस संगठन की वास्तविक स्थिति स्पष्ट की जाएगी।


निष्कर्ष: जागरूक उपभोक्ता बनना समय की माँग है

सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत संगठनों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, लेकिन पारदर्शिता और वैधता इनके लिए सबसे आवश्यक तत्व हैं।
ऐसे में, कोई भी संस्था जो उपभोक्ता सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर काम करने का दावा करती है—
उसे अपनी पहचान और पंजीकरण को सार्वजनिक करना ही चाहिए।

जब तक तथ्यों का खुलासा नहीं होता, नागरिकों को सतर्क रहने की जरूरत है।



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